Wednesday, February 20, 2008

बात बैंकिंग एंड फाइनेंस की

भारतीय बाजार में जिस तरह नए-नए बैंकों और फाइनेंशल संस्थाओं का आगमन हो रहा है, उसके बाद इन क्षेत्रों में नौकरियों की संख्या में भी तेजी से इजाफा देखने को मिला है। जहां तक पैसे की बात है, तो उस मामले में भी ये संस्थान बेहतरीन पैकेज दे रहे हैं, बशर्ते उन्हें योग्य कैंडिडेट्स मिल जाएं। इन बैंकों में जिस तरीके से ऐडमिनिस्ट्रेटिव और टेक्निकल सपोर्ट की जरूरत बढ़ रही है, उसके बाद इस क्षेत्र में नौकरियों की संख्या और भी ज्यादा बढ़ी है। इसके अलावा जहां आउटसोर्सिंग पहले केवल आईटी इंडस्ट्री तक ही सीमित थी, वहीं अब फाइनेंशल संस्थाएं भी आउटसोर्सिंग की मदद ले रही हैं।

बैंकिंग एक ऐसा क्षेत्र है, जो हर तरह के लोगों को नौकरियां उपलब्ध कराता है। ऑपरेशनल, सेलिंग, मैनेजेरियल, आईटी जैसे तमाम क्षेत्रों से जुड़े लोगों को बैंकिंग सेक्टर में काम करने के मौके मिल सकते हैं।

रिटेल बैंकिंग
किसी बैंक में घुसने के बाद जो चेहरे आपको ग्रीट करते हैं, वे कस्टमर सविर्स इग्जेक्युटिव होते हैं। इनका काम बैंकिंग प्रॉडक्ट्स को बेचना होता है। इन बैंकिंग प्रॉडक्ट्स में शामिल हैं डिपॉजिट्स, अकाउंट्स, म्यूचुअल फंड्स, लोंस आदि। अच्छी इंटरपर्सनल स्किल्स, आकर्षक व्यक्तित्व, कम्यूनिकेशन स्किल्स और धैर्य इस प्रोफाइल की सबसे बड़ी जरूरतों में से हैं। रिटेल बैंकिंग में सीनियर लेवल पर आने के लिए आपको एमबीए होना चाहिए, लेकिन एंट्री लेवल और मिडल पोजिशन के लिए केवल ग्रैजुएट्स भी कामयाब हो सकते हैं।

प्राइवेट बैंकिंग
वेल्थ मैनेजमेंट के रूप में जाना जाने वाला यह क्षेत्र अब तक रिटेल बैंकिंग का ही हिस्सा हुआ करता था, लेकिन इधर कुछ सालों से इंडियन स्टॉक मार्केट में आए बूम के चलते यह करियर का एक अलग क्षेत्र बनकर उभरा है। प्राइवेट बैंकिंग में इंडिविजुअल, फंड्स या कॉरपोरेट्स की बात होती है। जहां तक नौकरी की बात है, तो इस क्षेत्र में सेल्स स्किल वाले लोगों की जरूरत होती है। एमबीए को इस क्षेत्र में भी वरीयता दी जाती है। एक जानी-मानी ब्रोकरेज फर्म के इक्विटी ट्रेडर सिद्धार्थ बताते हैं, 'इसमें सर्विस और सेल्स दोनों का काम होता है। आपको अपने क्लाइंट की नब्ज पहचाननी होती है, यह पता लगाना होता है कि वे कितना रिस्क ले सकते हैं और उसके बाद उन्हें इन्वेस्टमेंट प्लान बेचने होते हैं। इस मामले में सबसे बड़ी चुनौती यह है कि आप क्लाइंट के साथ पहली बार कैसे मिलते हैं। इस मामले में ही आपकी इंटरपसर्नल स्किल्स बेहद काम आती हैं।

कॉरपोरेट बैंकिंग
कॉरपोरेट बैंकिंग में आमतौर पर ऑलराउंडर प्रोफाइल की जरूरत होती है। इस क्षेत्र के लिए सेल्स की अच्छी स्किल्स होने के साथ ही पीपल मैनेजमेंट स्किल्स का होना भी जरूरी है क्योंकि इन्हें कई बार अपने क्लाइंट को संतुष्ट करने के लिए बैंक के कई विभागों में आपसी सामंजस्य बनाना होता है। एमबीए या सीए इस क्षेत्र के लिए सही कैंडिडेट्स होते हैं।

माइक्रोफाइनेंस
यह तेजी से डेवलप होता हुआ क्षेत्र है। इसके जरिए किसानों और रूरल एरिया के लोगों के लिए माइक्रो क्रेडिट, माइक्रो सेविंग्स और माइक्रो इंश्योरेंस उपलब्ध कराया जाता है। एमबीए फाइनेंस इस क्षेत्र के लिए सबसे सही कैंडिडेट्स होते हैं।

इन्वेस्टमेंट बैंकिंग
इन्वेस्टमेंट बैंकिंग में उन लोगों को वरीयता दी जाती है, जो या तो किसी नामी संस्थान के एमबीए हों या उन्होंने सीए किया हो। लेकिन इस क्षेत्र की सबसे बड़ी चुनौती है काम के लंबे घंटे। इन्वेस्टमेंट बैंक का सबसे महत्वपूर्ण रोल कॉरपोरेशंस और ऑर्गेनाइजेशंस के लिए फंड इकट्ठा करना होता है। यह काम आईपीओ और मर्जर्स के माध्यम से किया जाता है।

रिसर्च एंड एनालिसिस
न्यू यॉर्क बेस्ड रिसर्च एनालिस्ट निखिल जैन कहते हैं, 'सभी र्फम्स को एक ऐसी टीम की जरूरत होती है, जो उसकी फाइनेंशल प्लानिंग, आमदनी, खर्च, प्रॉजेक्शन प्लानिंग, असेट प्लानिंग जैसे कामों का एनालिसिस करती है। इस क्षेत्र में आने के लिए आपके पास फाइनेंस या अकाउंटिंग का अनुभव होना चाहिए। चार्टर्ड अकाउंटेंट और चार्टर्ड फाइनेंशल एनालिस्ट को इस क्षेत्र में नौकरी के ढेरों अवसर मौजूद हैं।

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