Monday, February 25, 2008

अब डिस्टेंस लरनिंग से डॉक्टरी की पढ़ाई

ड्रीम जॉब डेस्क

अगले साल यदि आप किसी प्रतिष्ठित मेडिकल कॉलेज में प्रवेश पाने के असफल हो जाते हैं तो आपको यह सोच कर निराश नहीं होना पड़ेगा कि अब आप मेडिकल की पढ़ाई नहीं कर पाएंगे। क्योंकि एक अग्रणी हॉस्पिटल चेन भारत में पहली बार डिस्टेंस लरनिंग के द्वारा एमबीबीएस प्रोग्राम ऑफर करने की तैयारी कर चुका है। मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया जो कि भारत में मेडिकल एजुकेशन को रेग्युलेट करती है, के सूत्रों के अनुसार मैक्स हेल्थकेयर और यूएस बेस्ड ओसिनिया यूनिवर्सिटी लगातार मेडिकल काउंसिल से संपर्क में हैं ताकि डिस्टेंस लरनिंग से एमबीबीएस प्रोग्राम को तुरंत शुरू किया जा सके। इतना ही नहीं सूत्रों का कहना है कि उनका प्रपोजल अप्रूव होने की फाइनल स्टेज में है।

गौरतलब है कि ओसीनिया युनिवर्सिटी युनाइटेड स्टेट में ऑनलाइन और डिस्टेंस मेडिकल प्रोग्राम ऑफर करती है। और अब मैक्स हेल्थकेयर को भारत में यह कोर्स स्ट्रक्चर शुरू करने में सहायता करेगी।

अभी भारत में कुछ पैरामेडिकल प्रोग्राम हैं जो ओपन युनिवर्सिटी (इग्नू) द्वारा आयोजित करवाए जा रहे हैं और कुछ अभी तक मेडिकल काउंसिल द्वारा अप्रूव होने के इंतजार में हैं। चूंकि एमबीबीएस कोर्स में बहुत ज्यादा प्रेक्टिकल ट्रेनिंग की जरूरत होती है इसलिए डिस्टेंस कोर्स में हमेशा इस कोर्स को सम्मिलित करने के बारे में सोचा भी नहीं जाता था।

मैक्स हेल्थकेयर के मेडिकल ऑपरेशन्स के एग्ज्यूकिटिव डायरेक्टर डॉ. परवेज अहमद बताते हैं कि मैक्स की योजना है कि कोर्स व पाठ्यक्रम मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया की गाइडलाइन के अनुसार हो और इसकी डिलिवरी का मोड ओसिनिया युनिवर्सिटी के प्रोग्राम जैसा ही हो। उन्होंने बताया कि कोर्स का थ्योरी पार्ट इंटरेक्टिव इंटरनेट टूल के जरिए डिस्टेंस मोड में कंडक्ट होगा और प्रैक्टिकल मैक्स हेल्थकेयर के जगह-जगह कार्यरत हॉस्पिटल के कैम्पस में आयोजित किए जाएंगे।

गौरतलब है कि मैक्स हेल्थकेयर अपने 6 हॉस्पिटल्स को अपग्रेड कर रहा है और कंपनी के सूत्रों के अनुसार 3 सालों में उनकी क्षमता 4000 बिस्तर वाली होगी। डेंटल काउंसिल ऑफ इंडिया के प्रेसिडेंट अनिल कोहली ने डिस्टेंस एमबीबीएस कोर्स का स्वागत किया है।

Wednesday, February 20, 2008

बात बैंकिंग एंड फाइनेंस की

भारतीय बाजार में जिस तरह नए-नए बैंकों और फाइनेंशल संस्थाओं का आगमन हो रहा है, उसके बाद इन क्षेत्रों में नौकरियों की संख्या में भी तेजी से इजाफा देखने को मिला है। जहां तक पैसे की बात है, तो उस मामले में भी ये संस्थान बेहतरीन पैकेज दे रहे हैं, बशर्ते उन्हें योग्य कैंडिडेट्स मिल जाएं। इन बैंकों में जिस तरीके से ऐडमिनिस्ट्रेटिव और टेक्निकल सपोर्ट की जरूरत बढ़ रही है, उसके बाद इस क्षेत्र में नौकरियों की संख्या और भी ज्यादा बढ़ी है। इसके अलावा जहां आउटसोर्सिंग पहले केवल आईटी इंडस्ट्री तक ही सीमित थी, वहीं अब फाइनेंशल संस्थाएं भी आउटसोर्सिंग की मदद ले रही हैं।

बैंकिंग एक ऐसा क्षेत्र है, जो हर तरह के लोगों को नौकरियां उपलब्ध कराता है। ऑपरेशनल, सेलिंग, मैनेजेरियल, आईटी जैसे तमाम क्षेत्रों से जुड़े लोगों को बैंकिंग सेक्टर में काम करने के मौके मिल सकते हैं।

रिटेल बैंकिंग
किसी बैंक में घुसने के बाद जो चेहरे आपको ग्रीट करते हैं, वे कस्टमर सविर्स इग्जेक्युटिव होते हैं। इनका काम बैंकिंग प्रॉडक्ट्स को बेचना होता है। इन बैंकिंग प्रॉडक्ट्स में शामिल हैं डिपॉजिट्स, अकाउंट्स, म्यूचुअल फंड्स, लोंस आदि। अच्छी इंटरपर्सनल स्किल्स, आकर्षक व्यक्तित्व, कम्यूनिकेशन स्किल्स और धैर्य इस प्रोफाइल की सबसे बड़ी जरूरतों में से हैं। रिटेल बैंकिंग में सीनियर लेवल पर आने के लिए आपको एमबीए होना चाहिए, लेकिन एंट्री लेवल और मिडल पोजिशन के लिए केवल ग्रैजुएट्स भी कामयाब हो सकते हैं।

प्राइवेट बैंकिंग
वेल्थ मैनेजमेंट के रूप में जाना जाने वाला यह क्षेत्र अब तक रिटेल बैंकिंग का ही हिस्सा हुआ करता था, लेकिन इधर कुछ सालों से इंडियन स्टॉक मार्केट में आए बूम के चलते यह करियर का एक अलग क्षेत्र बनकर उभरा है। प्राइवेट बैंकिंग में इंडिविजुअल, फंड्स या कॉरपोरेट्स की बात होती है। जहां तक नौकरी की बात है, तो इस क्षेत्र में सेल्स स्किल वाले लोगों की जरूरत होती है। एमबीए को इस क्षेत्र में भी वरीयता दी जाती है। एक जानी-मानी ब्रोकरेज फर्म के इक्विटी ट्रेडर सिद्धार्थ बताते हैं, 'इसमें सर्विस और सेल्स दोनों का काम होता है। आपको अपने क्लाइंट की नब्ज पहचाननी होती है, यह पता लगाना होता है कि वे कितना रिस्क ले सकते हैं और उसके बाद उन्हें इन्वेस्टमेंट प्लान बेचने होते हैं। इस मामले में सबसे बड़ी चुनौती यह है कि आप क्लाइंट के साथ पहली बार कैसे मिलते हैं। इस मामले में ही आपकी इंटरपसर्नल स्किल्स बेहद काम आती हैं।

कॉरपोरेट बैंकिंग
कॉरपोरेट बैंकिंग में आमतौर पर ऑलराउंडर प्रोफाइल की जरूरत होती है। इस क्षेत्र के लिए सेल्स की अच्छी स्किल्स होने के साथ ही पीपल मैनेजमेंट स्किल्स का होना भी जरूरी है क्योंकि इन्हें कई बार अपने क्लाइंट को संतुष्ट करने के लिए बैंक के कई विभागों में आपसी सामंजस्य बनाना होता है। एमबीए या सीए इस क्षेत्र के लिए सही कैंडिडेट्स होते हैं।

माइक्रोफाइनेंस
यह तेजी से डेवलप होता हुआ क्षेत्र है। इसके जरिए किसानों और रूरल एरिया के लोगों के लिए माइक्रो क्रेडिट, माइक्रो सेविंग्स और माइक्रो इंश्योरेंस उपलब्ध कराया जाता है। एमबीए फाइनेंस इस क्षेत्र के लिए सबसे सही कैंडिडेट्स होते हैं।

इन्वेस्टमेंट बैंकिंग
इन्वेस्टमेंट बैंकिंग में उन लोगों को वरीयता दी जाती है, जो या तो किसी नामी संस्थान के एमबीए हों या उन्होंने सीए किया हो। लेकिन इस क्षेत्र की सबसे बड़ी चुनौती है काम के लंबे घंटे। इन्वेस्टमेंट बैंक का सबसे महत्वपूर्ण रोल कॉरपोरेशंस और ऑर्गेनाइजेशंस के लिए फंड इकट्ठा करना होता है। यह काम आईपीओ और मर्जर्स के माध्यम से किया जाता है।

रिसर्च एंड एनालिसिस
न्यू यॉर्क बेस्ड रिसर्च एनालिस्ट निखिल जैन कहते हैं, 'सभी र्फम्स को एक ऐसी टीम की जरूरत होती है, जो उसकी फाइनेंशल प्लानिंग, आमदनी, खर्च, प्रॉजेक्शन प्लानिंग, असेट प्लानिंग जैसे कामों का एनालिसिस करती है। इस क्षेत्र में आने के लिए आपके पास फाइनेंस या अकाउंटिंग का अनुभव होना चाहिए। चार्टर्ड अकाउंटेंट और चार्टर्ड फाइनेंशल एनालिस्ट को इस क्षेत्र में नौकरी के ढेरों अवसर मौजूद हैं।

Wednesday, February 6, 2008

जो कर सकती है वह स्त्रियां ही कर सकती है ।

भारतीये समाज मे जितना भी पतन हो रहा हैं या हो चूका है उसके लिये स्त्री , उसकी सोच , उसके वस्त्र , उसकी नौकरी , उसके विचार जिमेदार है । कल हम गणतंत्र दिवस मनाने जा रहे हैं पर हमारी मानसिकता आज भी वाही है जो ६० साल पहले थी । आज भी लोगो की सोच मे स्त्री को एडजस्ट करना होगा अपने आचार विचार को पुरुष के biological disorder के साथ । और अगर वह ऐसा नहीं करेगी तो वह समाज मे सुरक्षित नहीं है । नैतिकता का जीमा स्त्री का हैं क्योकि पुरुष बेचारे को तो इश्वर ने biological disorder के साथ पैदा किया हैं । वह बेचारा तो कहीं भी स्त्री को देखता है तो यौनाकर्षण का शिकार हो जाता है । स्त्री की तस्वीर देख कर ही यौनाकर्षण का शिकार पुरुष क्या कर सकता है । जो कर सकती है वह स्त्रियां ही कर सकती है , ताकि और biological disorder वाले प्राणी पैदा ही ना हों .